लेखनी कहानी -29-Nov-2022
पहली मुलाकात
याद है मुझे आज भी, वो तेरी मेरी पहली मुलाकात ।
नजरों का आपस में मिलना, फिर पलकों का झुकना।।
मन में सवालों का समन्दर, जिसमें चल रहा था एक भँवर सा अंदर।
लिए वो सपने हजार, मन कर रहा बार बार एक ही सवाल।।
क्यों ये सांसे थम रही हैं, मानों सर्द हवा सी जम रही हैं ।
अरमान ढेरों मचल रहे हैं, तुम पर ही जाकर रुक रहे हैं।।
शर्म से थे, गाल लाल हो रहे। धीरे धीरे नैन मेरे, तुम पर जाकर ठहर रहे।।
बेताबी सी छा रही ,मानो विरह बेला आ रही थी।
लफ्जों ने ये क्या जादू था किया, दिल तेरी ओर ही झुक रहा।।
पहली मुलाकात का ये असर था, या जन्मों का ये सफर था।
जीने को नई जिंदगी अरमान, सजे बस तुझको ही पुकार रहे थे।।
न खत्म हो ये मुलाकात अपनी, बस ऐसे ही चलती रहे जिंदगी।
बन जाए तू चाँद मेरा, और मैं तेरी बंदगी।।
दे गवाही ये चाँद सितारे, प्रेम धुन छेड़ दें ये पल मतवाले।
मैं तेरी तू मेरा बन जाएं सफल हो जाए, ये पहली मुलाकात तेरी मेरी।।
श्वेता दूहन देशवाल
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
#यादों का झरोखा
Gunjan Kamal
07-Dec-2022 09:06 AM
बहुत खूब
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Rajeev kumar jha
30-Nov-2022 11:48 AM
शानदार
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